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डकैती का आरोपी ट्रांसजेंडर सिमरन उलझ गया अपने ही बुने जाल में


IMG-20210719-WA0125पटियाला (पुलिस न्यूज़ इंडिया) करोड़ों रुपये की डकैती के आरोपी सिमरन ने पटियाला कोर्ट में जमानत की अर्जी दी थी। जज साहिब ने सिमरन के वकील माथुर साहब की अरेस्ट सटे की अपील पर अभी कोई राहत न देते हुए 9 दिन लम्बी तारीख डाल दी। ग्रिफ्तारी की तलवार अभी भी लटक रही है ।

IMG-20210527-WA0044 ज्ञात रहे कि समाना के रहने वाले मर्द से ट्रांसजेंडर बने गगनदीप सिंह उर्फ सिमरन ने औरतों जैसा देखने की इच्छा के चलते ऑपरेशन से अपना गुप्तांग कटवा कर सिलिकॉन थेरेपी से बड़े आकार की छाती बनवा ली थी। उसके बाद सिमरन गीता महंत का चेला बन गया था। कुछ देर बाद गीता महंत को गुरु कहने में तकलीफ के चलते इसने गीता के गुरु यानी कि अपने दादा गुरु सतपाल महंत को अपना बना लिया था । उसके बाद से सिमरन की खटपट गीता महंत के बाकी चेले नातियों से होने लगी और आपस में इन सभी का जूता चप्पल चलने लगा तो खोपड़ी में परेशानियां आ जाने के कारण सिमरन ने फैसला किया कि अपने गुरुओं की जायदाद को बेच दिया जाए । इसके बाद सिमरन ने पटियाला के अन्य डेरों के किन्नरों को अपना डेरा बेचने की कोशिश की लेकिन पटियाला में दाल ना गलने के कारण सिमरन ने कुछ लोगों के साथ मिलकर अपराध की योजना बनाई और अंबाला के भोले भाले महंतों को अपने झांसे में लेकर उनसे 3 करोड रुपए लेकर पटियाला में मकान नंबर 381/7 का कब्जा देकर कहा कि रजिस्ट्री कुछ महीने के बाद होगी क्योंकि करोना के चलते रजिस्ट्री बंद है ।सिमरन ने इंदर नाम के किसी तहसीलदार को 1 लाख 30 हज़ार रुपये रजिस्ट्री करने के लिए भी दिलवा दिये । जब इस जायदाद को खरीदने वाले अंबाला के महंतों ने रजिस्ट्री करवाने के लिए जोर डालना शुरू किया तो सिमरन ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत पटियाला कोर्ट में स्टे आर्डर लेने के लिए याचिका डाल दी और 25 मई 2021 को 70-80 बदमाशों के साथ, शबनम महंत द्वारा खरीदे गए डेरा जट्टां वाला चौतरा के मकान नंबर 381/7 पर दिनदहाड़े डकैती डाल दी और पूनम महंत वगैरा को उनके चेलों के साथ बुरी तरह से मारपीट करते हुए जख्मी कर दिया और एक करोड रुपए से ज्यादा की नगदी और गहने लूट लिए । बाद में इस लूट की राशि की आपस में इन सभी ने बंदरबांट कर ली। इस मामले में कई राजनैतिक लोगों का नाम आने के कारण यह मामला पूरे देश में चर्चित हुआ और पंजाब के इस सबसे बड़े जघन्य अपराध के मामले में कोतवाली पुलिस ने एफ आई आर दर्ज कर दी। सिमरन ने इस मामले में जांच करने के लिए अर्जी दी और जांच के दौरान सिमरन ट्रांसजेंडर और उसके गैंग के खिलाफ डकैती की धारा 392 का एक और मामला दर्ज हो गया । इसके बाद सिमरन और उसके गैंग के सभी मेंबर फरार हो गए। माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से सिमरन की एक अर्जी भी खारिज हो गई और इस डकैती में शामिल सिमरन की साथी सिम्मी महंत चेला रेशमा महंत नाभा और ममता महंत ने पटियाला अदालत में जमानत की अर्जी लगाई जो माननीय जज साहब ने रद्द कर दी ।

IMG-20210720-WA0043 इसके बाद सिम्मी और ममता महंत को को पटियाला पुलिस ने छापामारी करने के बाद गिरफ्तार कर लिया। सिमरन ने अपने एक साथी 9 बच्चों के बाप लाभ सिंह को औरतों के कपड़े पहनाकर नकली किन्नर लाभो महंत बनाकर पूनम महंत के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करवाया था लेकिन लाभ सिंह ने जज साहिब के सामने पेश होकर सारा सच उगल दिया और पटियाला पुलिस ने झूठा मामला दर्ज करवाने के इस मामले में सिमरन के खिलाफ धारा 195 के तहत एक और मामला दर्ज कर दिया । इसके बाद इस मामले में पटियाला पुलिस ने सिमरन के साथ डकैती डालने वाले कुछ लुटेरे भी गिरफ्तार किए हैं और इस मामले में कुछ राजनैतिक लोगों का नाम भी आ चुका है जिनकी पुलिस को तलाश है। इस मामले में पटियाला के एमसी कृष्ण चंद्र बुद्धू के भतीजे जिम्मी का नाम भी आ चुका है । किन्नरों का कहना है कि उनके पास राहुल बिल्ला नाम के एक ठेकेदार की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मौजूद है और इस तरह की कई रिकॉर्डिंग उनके पास हैं जिनसे पता चलता है कि किस तरह डकैती को अंजाम दिया गया। अभी पटियाला डकैती का मामला चल ही रहा था कि सिमरन और उसके साथियों ने राजपुरा में जरीना महंत के डेरे पर धावा बोल दिया लेकिन वहां लोगों ने उनको पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया, जिसके बाद सिमरन ट्रांसजेंडर पर राजपुरा में एक और एफ आई आर दर्ज हो गई। इस सिलसिले में पूनम महंत और शबनम महंत का कहना है कि वह इंसाफ के लिए आखरी दम तक लड़ेंगे लेकिन अगर सिमरन उनसे अपनी करतूत की माफी मांग कर उनसे लूटा हुआ सामान उन्हें वापिस दे देता है और उन्हें बेची हुई जायदाद की रजिस्ट्री उनके नाम करवा देता है तो अगर कानून की इजाजत मिले तो इस मामले में हिजड़पन के रिवाजों के मुताबिक भी विचार किया जा सकता है । फिलहाल सिमरन अपने द्वारा रचित मकड़जाल अपराध के चक्रव्यू में पूरी तरह से उलझ चुकी है । सिमरन महंत ने अपने आप को लड़की बता कर मिट्ठू सरपंच के साथ शादी की थी । अभी तक यह पता नहीं चला कि मिट्ठू सरपंच अपनी ट्रांसजेंडर पत्नी के बचाव के लिए क्या क्या पापड़ बेल रहा है। यकीनन इस मामले में यह शेयर फिट बैठता है : ना खुदा ही मिला ना विसाल ए सनम , ना इधर के रहे ना उधर के रहे ।

किन्नर गुरु एकता जोशी के हत्यारों को फांसी पर लटकाया जाए-किन्नर वेलफेयर बोर्ड

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किन्नर गुरु एकता जोशी की निर्मम हत्या पर किन्नर वेलफेयर बोर्ड ने कड़ा संज्ञान लिया है । किन्नर वेलफेयर बोर्ड के चेयरमैन श्री परवीन कोमल ने मांग की है कि किन्नर गुरु एकता जोशी के कातिलों को तुरंत पकड़कर फांसी के फंदे पर लटकाने का प्रबंध किया जाए। श्री कोमल ने मांग की है कि गृह विभाग की ओर से किन्नरों की सुरक्षा हेतु पुख्ता प्रबन्ध किये जाने हेतु राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए।

राजधानी दिल्ली (Capital Delhi) में शनिवार रात को अज्ञात बदमाशों (Unknown Miscreants) ने किन्नरों के गुरु एकता जोशी (Ekta Joshi) की गोली मारकर हत्या (Murder) कर दी. बताया जा रहा है कि करीब 9 बजे के आसपास एकता जोशी जनता फ्लैट स्थित अपने घर आईं थीं. यहां पर अज्ञात बदमाशों ने उन पर गोलियां बरसा दीं. बदमाशों ने 4 गोलियां चलाईं जिसमें से 3 गोली एकता जोशी को लगी. हमले के बाद बदमाश फरार हो गए.

एकता जोशी को एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. जनता फ्लैट, जीटीबी एन्क्लेव में घटना के बाद से दहशत का माहौल है. पुलिस फिलहाल सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी है.

किन्नर वेलफेयर बोर्ड के चेयरमैन श्री परवीन कोमल ने मांग की है कि किन्नर गुरु एकता जोशी के कातिलों को तुरंत पकड़कर फांसी के फंदे पर लटकाने का प्रबंध किया जाए। श्री कोमल ने मांग की है कि गृह विभाग की ओर से किन्नरों की सुरक्षा हेतु पुख्ता प्रबन्ध किये जाने हेतु राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए।

आम आदमी से क्यों अलग हैं किन्नर

ParveenKomal

Parveen Komal Chairman

लिंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ किये जाने वाले सामाजिक भेदभाव को लैंगिक असमानता या लैंगिक भिन्नता कहा जाता है। सृष्टि की वृद्धि में स्त्री और पुरुष की एक समान भूमिका होती है। Screenshot_20200830_122048स्त्री−पुरुष के संयोग से उत्पन्न होने वाली सन्तान जब प्राकृतिक रूप से लिंग विकृति का शिकार होकर जन्म लेती है, तब उसके प्रति समाज का भेदभाव पूर्ण रवैया समझ से परे होना स्वाभाविक है। मनुस्मृति के अनुसार पुरुष अंश की तीव्रता से नर तथा स्त्री अंश की तीव्रता से स्त्री सन्तान का जन्म होता है। परन्तु जब दोनों का अंश एक समान होता है तब तृतीय लिंग का शिशु जन्म लेता है या फिर नर−मादा जुड़वां सन्तानें पैदा होती हैं। समाज ने तृतीय लिंग वाली सन्तान का नामकरण क्लीव, हिजड़ा, किन्नर, शिव−शक्ति, अरावानिस, कोठी, जोगप्पा, मंगलामुखी, सखी, जोगता, अरिधि तथा नपुंसक आदि अनेक नामों से किया है। क्लीव और किन्नर संस्कृत भाषा के शब्द हैं, जबकि हिजड़ा उर्दू शब्द है। जो कि अरवी भाषा के हिज्र से बना है। जिसका अर्थ होता है कबीले से पृथक।

भारत के प्राचीन इतिहास में किन्नरों का समाज में एक सम्मानीय स्थान रहा है और इन्हें गायन विद्या का मर्मज्ञ माना जाता था। तुलसीदास जी ने “सुर किन्नर नर नाग मुनीसा” के माध्यम से किन्नरों के उच्च स्तरीय अस्तित्व को रेखांकित भी किया है। हालांकि सामाज का एक बड़ा वर्ग किन्नर और हिजड़ों को पृथक−पृथक मानता है। किन्तु जब किन्नर शब्द के अर्थ पर विचार किया जाता है तो किन्नर शब्द का अर्थ है विकृत पुरुष और यह विकृति लैंगिक भी हो सकती है। जबकि कुछ विद्वान इसका अर्थ अश्वमुखी पुरुष से करते हुए किन्नरों को पुरुष और ऐसी स्त्रियों को किन्नरी कहते हैं। वर्तमान समय में किन्नर का आशय हिजड़ों से ही लिया जाता है।
मुगल काल में भी किन्नरों को विशेष सम्मानित दृष्टि से देखा जाता रहा है। वह राज्य के सलाहकार, प्रशासक और हरम के रक्षक पद पर तैनात रहते थे। इनके पास अपनी जमीनें थीं और ये सम्मान के साथ समाज में रहकर अपना जीवन व्यतीत करते थे। लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के आगमन के बाद इनकी दशा दुर्दशा को प्राप्त हो गई। शेष भारतीयों के साथ अंग्रेजी हुकूमत की अत्यचारपूर्ण नीतियाँ तो जग जाहिर हैं ही। किन्तु किन्नरों के साथ अंग्रेजों ने कुछ अधिक ही जुल्म ढाए। चूंकि इनका जैविक अधिकार इनके रक्त से सम्बन्धित नहीं था। अतः ब्रिटिश हुकूमत के सम्पत्ति अधिकार कानून के तहत इनकी जमीनें इनसे छीनकर इन्हें बदतर जीवन जीने के लिए छोड़ दिया गया। परिणामस्वरूप कुछ किन्नर जहाँ अपराध में लिप्त हो गए तो शेष भीख मांगकर जीवनयापन करने लगे। धीरे−धीरे देश के आमजन ने भी इन्हें हिकारत की दृष्टि से देखना प्रारम्भ कर दिया और यह समुदाय समाज की मुख्य धारा से पूरी तरह पृथक हो गया। यहाँ यह भी समझना वैचित्र्यपूर्ण है कि दुनिया के अन्य जितने भी समुदाय हैं उनमें कहीं न कहीं रक्तिम सम्बन्ध होता है। परन्तु किन्नर समुदाय के किसी भी सदस्य का आपस में किसी भी प्रकार का कोई रक्तिम सम्बन्ध नहीं होता है। उसके बाद भी ये लोग भावनात्मक रूप से एक दूसरे के साथ जुड़कर एक पृथक समाज की स्थापना करके अपना जीवन व्यतीत करते हैं। बच्चे के जन्म से लेकर विवाह समारोह तक में लोगों की मंगलकामना करके बख्शीश प्राप्त करना ही इनका जीवनयापन का साधन है।

ये हैं भारत के वो 8 किन्नर, जिन्होंने दुनियाभर में बदलकर रख दी किन्नरों की पहचान

kinnar_akhada_3639146_835x547-mहम आपको कुछ फेमस किन्नरों के बारे में बता, जिन्होंने समाज की परवाह किए बगैर एक नया मुकाम हासिल किया है। इतना ही नहीं इन लोगों ने अपनी प्रतिभा के बल पर अलग पहचान बनाई है। तो चलिए आपको इन किन्नरों से मिलवाते हैं।

किन्नर का नाम सुनते ही दिमाग में तरह-तरह की बातें घूमने लगती है। इनका नाम सुनते ही आपके दिमाग में एक अलग छवि बन जाती है। कुछ लोग इन्हें बहुत ही ओछी नजरों से देखते हैं, तो कुछ उन्हें सम्मान भी देते हैं। सरकार भी देश में किन्नरों का सम्मान बढ़ाने के लिए कई कोशिशों में लगी है।

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी

ये हैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी। लक्ष्मी नारायण ने किन्नरों के लिए लड़ाई लड़ी और उन्हें थर्ड जेंडर के रूप में किन्नरों के पहचान दिलाई। किन्नरों को नई पहचान दिलाने का श्रेय इन्हें ही जाता है।

ए रेवती

इन्होंने अपनी किताब के जरिए पहचान बनाई। इनकी लिखी बुक ‘दी त्रुथ अबाउ मी’ को थर्ड जेंडर लिट्रेचर एट दी अमेरिकन कॉलेज ऑफ मदुरई के रूप में शामिल किया गया।

पद्मिनी प्रकाश

पद्मिनी प्रकाश पहली ऐसी किन्नर हैं, जिन्होंने न्यूज एंकरिंग की। तमिलनाडु के लोटस टीवी में वह न्यूज एंकर थी।

शांता खुरई

शांता खुरई पहली ऐसी किन्नर है, जिन्होंने सैलून खोलकर अपनी पहचान बनाई हैं। मणिपुर में इन्होंने सैलून खोला और इससे प्रेरित होकर कई किन्नरों ने सैलून खोल लिया और अब वह किसी पर निर्भर नहीं है।

मानवी बंदोपाध्याय

मानवी बंदोपाध्याय पहली किन्नर प्रिंसिपल हैं। पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर के एक कॉलेज में उन्होंने कई अच्छे बदलाव किए और वह स्टूडेंस के बीच में काफी पॉपुलर हैं।

मधुबाई

मधुबाई पहली ऐसी महिला किन्नर हैं, जिन्होंने बीजेपी के खिलाफ लड़कर मेयर का चुनाव जीता था। छत्तीसगढ़ की मधुबाई के साथ मेयर बनने के बाद भी भेदभाव होता रहा, लेकिन वह डटी रहीं।

कल्कि सुब्रमण्यम

कल्कि सुब्रमण्यम पहली किन्नर एंटरप्रेन्योर हैं। इन्होंने साहोदरी फाउंडेशन की शुरुआत की, जो भारत में किन्नरों के सशक्तिकरण के लिए काम करता है।

रुद्राणी क्षेत्री

दिल्ली की रुद्राणी क्षेत्री ऐसी किन्नर हैं, जिन्होंने मॉडल के रूप में अपनी पहचान बनाई। प्रोफेशनल मॉडलिंग एजेंसी मित्र ट्रस्ट के साथ मिलकर उन किन्नरों के लिए काम कर रही हैं, जो मॉडलिंग करना चाहते हैं।

जायज है किन्नरों की शादी-पाकिस्तान में फतवा

पाकिस्तान के कुछ मौलवियों ने फतवा जारी किया है कि किन्नरों की शादियां जायज हैं. फतवा देने वाली संस्था ने कई प्रगतिशील बातें की हैं.

   पहले तो इस तरह का फतवा आना ही उम्मीद जगाता है क्योंकि आमतौर पर, और खासकर गैर मुस्लिमों के बीच, फतवे का मतलब होता है कुछ उलटा-पुलटा. इसलिए जब कोई फतवा कहता है कि किन्नर शादी कर सकते हैं, तो प्रगतिशील लोगों को खुशी होती है. और फिर ज्यादा खुशी होती है जब पता चलता है कि यह फतवा पाकिस्तान से आया है, उसी पाकिस्तान से जहां ईशनिंदा के नाम पर, समलैंगिकता के नाम पर, विधर्म के नाम पर हत्याओं का सिलसिला चल रहा है. वही पाकिस्तान, जहां किन्नरों के हालत काफी खराब है. वहां उन्हें सिर्फ हिकारत और मजाक की नजर से देखा जाता है. उसी पाकिस्तान के करीब 50 मौलवियों ने फतवा जारी किया है कि किन्नर शादियां गैर-इस्लामिक नहीं हैं.

यह फतवा तंजीम इत्तेहाद ए उम्मत नाम की एक संस्था ने जारी किया है. इस संस्था का कोई बहुत ज्यादा नाम तो नहीं है लेकिन है तो एक मजहबी इदारा ही. जब किसी गांव में बैठा मौलवी कोई फतवा जारी कर देता है तो पूरी दुनिया में हाहाकार मच जाता है, ऐसे में इस तरह के प्रगतिशील फतवे पर भी बात होनी ही चाहिए. पाकिस्तानी अखबार डॉन ने खबर छापी है कि तंजीम के मुताबिक किन्नरों की शादियां गैर इस्लामिक नहीं हैं, लेकिन कुछ शर्तें हैं. फतवे में यह शर्त रखी गई है कि शादी करने वाले किन्नर दिखने में मर्द और औरत जैसे ही होने चाहिए. मतलब यह कि अगर कोई किन्नर शारीरिक रूप से मर्द जैसा दिखता है तो वह एक ऐसे किन्नर से शादी कर सकता है जो शारीरिक तौर पर औरत जैसी हो.

दुआ देने वालों का अभिशाप सा जीवन

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दिन में वसीम एक मोबाइल रिपेयर की दुकान में काम करता है. अंधेरा होते ही वह नया रूप धारण कर लेता है. रावलपिंडी के कोठों में 27 साल का वसीम नाचता दिखता है. यहां उसकी पहचान महज एक किन्नर की है.

फतवे में और भी कई तरह की बातें कही गई हैं जो किन्नर लोगों की जिंदगियों को आसान बनाने की एक कोशिश मानी जा सकती हैं. मसलन, इसमें कहा गया है कि किसी किन्नर को उसके संपत्ति के हक से अलग करना गलत है. फतवा कहता है कि जो माता-पिता अपने किन्नर बच्चों से संपत्ति का अधिकार छीनते हैं उन्हें अल्लाह का गुस्सा झेलना होगा. मौलवियों ने कहा है कि सरकार को ऐसे माता-पिताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

मौलवियों ने किन्नरों की सामाजिक स्थिति पर भी चर्चा की है. उन्होंने यहां तक कहा है कि किन्नरों को परेशान करना, उनका अपमान करना या उन्हें किसी भी तरह से छेड़ना हराम है. यह भी कहा गया है कि किन्नर व्यक्ति को अंतिम संस्कार के वे सारे हक हासिल हैं जो किसी भी अन्य मुसलमान को.

पाकिस्तान की पहली किन्नर न्यूज़ ऐंकर-मारविया

पाकिस्तान के स्थानीय टीवी चैनल कोहे-नूर ने अपने न्यूज़ ऐंकरों की टीम में एक किन्नर मारवीय मलिक को जगह दी है.

पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर कोहे-नूर न्यूज़ चैनल के इस कदम की सराहना की जा रही है.

पाकिस्तान की ताज़ा जनगणना में किन्नरों की कुल जनसंख्या 10418 है.

आख़िर कौन हैं मारवीय मलिक

कोहे-नूर न्यूज़ के री-लॉन्च में ऐंकर बनने वाली मारवीय मलिक लाहौर की रहने वाली हैं.

मारवीय मलिक ने ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई की हुई है और आगे परास्नातक करना चाहती हैं.

मारवीय पाकिस्तान की पहली किन्नर न्यूज़ ऐंकर हैं, लेकिन वो शो बिज़नेस में नई नहीं हैं. वह इससे पहले मॉडलिंग कर चुकी हैं.

पाकिस्तान

कोहे-नूर न्यूज़ के रिलॉन्च के बारे में काफ़ा चर्चा हो रही थी तो वह भी इंटरव्यू देने चली गईं. इंटरव्यू में बहुत सारे लड़कियां-लड़के आए थे. उनमे मारवीय भी शामिल थी. जब उसका नंबर आया तो उन्होंनेउसे इंतज़ार करने को कहा. इसके बाद जब सभी लोगों के इंटरव्यू पूरे हो गए तो उन्होंने मारवीय  को एक बार फिर अंदर बुलाया और कहा कि हम आपको ट्रेनिंग देंगे और कोहे-नूर न्यूज़ में आपका स्वागत है. ये सुनकर मारवीय  खुशी से चीखी तो नहीं, लेकिन उसकी आँखों  में आंसू इसलिए आए क्योंकि उसने  जो ख़्वाब देखा था,  उसकी पहली सीढ़ी मारवीय  चढ़ चुकी थी. ट्रेनिंग में कोई दिक्कत नहीं आई. टीवी चैनल में जितनी मेहनत दूसरे न्यूज़ ऐंकरों पर की गई उतनी ही मारवीय  पर की गई. मारवीय ने किसी तरह का लैंगिक भेदभाव नहीं देखा.”

रेंप पर बिखेरे जलवे

ट्रेनिंग के साथ हाल ही में मारवीय ने रेंप पर अपने जलवे बिखेरे.

उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान की पहली किन्नर मॉडल भी हूं. लाहौर फैशन शो में हिस्सा लिया, बड़ी मॉडल्स के साथ शामिल हुई और इस शो की शो स्टॉपर भी बनी. उनका कहना है कि वह अपने समुदाय के लिए कुछ करना चाहती हैं जिससे उनके हालात बेहतर हों.

वह बताती हैं, “हमारे समुदाय को मर्द औरत के बराबर हक मिले और हम एक आम नागरिक कहलाए जाएं न कि एक थर्ड जेंडर. अगर किसी मां-बाप को किन्नर बच्चे को घर में नहीं रखना तो इज्ज़त के साथ ज़मीन-जायदाद में हिस्सा दे ताकि वे भीख मांगने और ग़लत काम करने पर मजबूर न हों.”

उन्होंने कहा है कि “मुझे न्यूज़ कास्टर की नौकरी मिली लेकिन मेरी और सड़क पर भीख मांगने, डांस करने वाली किन्नरों की कहानी एक सी है जिसे बदलने की ज़रूरत है. मेरे घर वालों को सब कुछ पता है.”

कैसे और कब हुई थी किन्नरों की उत्पत्ति ?

किन्नरों की उत्पत्ति – जिस तरह स्त्री और पुरुष एक समाज में रहते हैं, उसी तरह इस दुनिया में किन्नरों का भी एक समाज है.

मनुष्य जाति की तरह ही किन्नरों मे भी दो प्रकार होते हैं.

एक किन्न पुरुष और दूसरी किन्नरी. इसे भी किन्न पुरुष ही कहा जाता है. मनुष्य जाति में हम सब जानते हैं कि स्त्री और पुरुष होते हैं. उनके जन्म की बात को भी हम जानते हैं कि कैसे होती है.

लेकिन किन्नरों की उत्पत्ति कब और कैसे हुई इसे हम में से बहुत ही कम लोग जानते हैं.

तो चलिए आज हम चर्चा करते हैं किन्नर समाज के इतिहास की. कि कैसे हुई किन्नरों की उत्पत्ति ?

बहुत पहले प्रजापति के यहां एक इल ना का पुत्र था. बड़ा होकर यही इल बड़ा ही धर्मात्मा राजा बना. कहते हैं राजा इल को शिकार खेलने का बड़ा शौक था. इसी शौक के कारण राजा इल अपने कुछ सैनिकों के साथ शिकार करने एक वन को गए. जंगल में राजा ने कई जानवरों का शिकार किया. लेकिन इसके बाद भी उनका मन नहीं भरा. वो और शिकार करना चाहते थे. इसी चाहत में वो जंगल में आगे बढ़ते चले गए. और उस पर्वत पर पहुंच गए, जहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ विहाग कर रहे थे. कहते हैं भगवान शिव ने माता पार्वती को खुश करने के लिए खुद को स्त्री बना लिया था. जिस समय भगवान शिव ने स्त्री रूप धारण किया था, उस समय जंगल में जितने जीव – जंतू, पेड़ – पौधे थे सब स्त्री बन गए. चुकी राजा इल भी उसी जंगल में मौजूद थे, सो राजा इल भी स्त्री बन गए और उनके साथ आये सारे सैनिक भी स्त्री बन गए.

राजा इल अपने आप को स्त्री रूप में देख बहुत दुखी हुए.

उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा कैसे हो गया. लेकिन जैसे ही उन्हें यह पता चला कि भगवान शिव के कारण वो सब स्त्री बन गए. तब राजा इल और ज्यादा चिंतित और डर गए. अपने इसी डर के कारण राजा इल भगवान शिव के चरणों में पहुंच गए. जहां उन्होंने भगवान शिव से अपने आप को पुरुष में परिवर्तित करने की अपील की. लेकिन भगवान शिव ने राजा इल से कहा कि तुम पुरुषत्व को छोड़कर कोई और वरदान मांग लो मैं दे दूंगा.

लेकिन इल ने दूसरा वरदान मांगने से मना कर दिया और वहां से चले गए.

वहां से जाने के बाद राजा हिल माता पार्वती को प्रसन्न करने में लग गए. राजा इल से माता पार्वती ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा.

तब राजा ने अपनी सारी कहानी बता कर अपना पुरुषत्व वापस लौटाने का वरदान माता पार्वती से मांगा. लेकिन माता पार्वती ने राजा से कहा कि तुम जिस पुरुषत्व का वरदान चाहते हो उसके आधे हिस्से के दाता तो खुद महादेव हैं. मैं तो सिर्फ आधा भाग ही दे सकती हूं. यानि तुम अपना आधा जीवन स्त्री रूप में और आधा जीवन पुरुष के रूप में व्यतीत कर सकते हो. अतः तुम कब स्त्री रूप में और कब पुरुष रूप में रहना चाहते हो यह सोच कर मुझे बता दो.

तब राजा ने काफी सोच कर माता पार्वती से कहा कि “हे मां मैं एक महीने स्त्री के रूप में, और एक महीने पुरुष के रुप में रहना चाहता हूं”

इस पर माता पार्वती ने तथास्तु कहते हुए राजा इल से ये भी कहा की जब तुम पुरुष के रुप में रहोगे, तो तुम्हें अपना स्त्री रूप नहीं याद रहेगा, और जब तुम अपने स्त्री रुप में रहोगे तो तुम्हें अपने पुरुष रुप का कुछ याद नहीं रहेगा.

इस तरह राजा इल माता पार्वती से एक महीने पुरुष इल और एक महीने स्त्री इला के रूप में रहने का वरदान प्राप्त कर लिए. परंतु राजा के सारे सैनिक स्त्री रूप में ही रह गए.

कहते हैं वो सारे सैनिक एक दिन स्त्री इला के साथ वन में घूमते – घूमते चंद्रमा के पुत्र महात्मा बुद्ध के आश्रम में पहुंच गए. तब चंद्रमा के पुत्र महात्मा बुद्ध ने इन स्त्री रूपी सैनिकों से कहा कि तुम सब किन्न पुरुषी इसी पर्वत पर अपना निवास स्थान बना लो. आगे चलकर तुम सब किन्न पुरुष पतियों को प्राप्त करोगे.

इस तरह से हुई किन्नरों की उत्पत्ति – किन्नरों के बारे में सारी जानकारी विस्तृत रुप से वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में स्पष्ट रुप से लिखा हुआ है.

मायावती की तुलना किन्नरों से करना किन्नर समुदाय की तौहीन-कोमल

Kinner 300x90किन्नर समुदाय की भलाई के लिए संगठित संस्था किन्नर वेलफेयर बोर्ड रजिस्टर्ड के चेयरमैन श्री प्रवीण कोमल ने मायावती को किन्नर कहे जाने और मायावती की तुलना किन्नरों के साथ किए जाने की सख्त निंदा की है । श्री कोमल ने कहां है कि किन्नर समुदाय एक शांति पसंद भाईचारा हैं और यह हर वर्ग की भलाई के लिए और हर वर्ग की सुख शांति के लिए दुआ करने वाला वर्ग है। किन्नरों का इस तरह की ओछी राजनीति से कोई लेना देना नहीं। किन्नर समुदाय कभी भी वैर विरोध की भावना रखते हुए इस तरह की निम्न दर्जे की शब्दावली का प्रयोग नहीं करता। इसलिए मायावती की तुलना किन्नरों के साथ करना किन्नर समुदाय की तोहीन है। श्री प्रवीण कोमल ने भारत के राजनेताओं को अपील की है कि आपस की लड़ाई में या राजनीति के हथकंडो में किन्नर समुदाय को घसीटने से परहेज किया जाए। किन्नर वेलफेयर बोर्ड की तरफ से इस घटना का कड़ा नोटिस लिया गया है और इस सिलसिले में किन्नर वेलफेयर बोर्ड की एक विशेष मीटिंग भी बुलाई जा रही है जिसमें किन्नर वेलफेयर बोर्ड के कानूनी सलाहकार पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमती अनुपम भनोट, श्री बृजेश भनोट तथा श्री सतीश करकरा पर आधारित एक लीगल एड कमेटी का गठन किया जा रहा है ताकि भविष्य में अगर कोई राज नेता आपस की लड़ाई में किन्नर समुदाय का नाम इस्तेमाल करके बेवजह का वाद विवाद खड़ा करता है तो उसके खिलाफ उचित रूप से कानूनी कार्यवाही की जाए। किन्नर वेलफेयर बोर्ड के चेयरमैन श्री प्रवीण कोमल ने ऐसी हरकतें करने वाले राजनेताओं को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह अपने उल्टी-सीधी हरकतों से बाज आएं और अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए किन्नर समुदाय का नाम इस्तेमाल करना बंद करें।

Pakistan’s first transgender newscaster-Marvia Malik

Meet Marvia Malik — Pakistan's first transgender newscaster

“I knew I was different ever since I was four years old,” says broadcast journalist Marvia Malik, 21, who grew up in a conservative joint family in Lahore, Pakistan. “Before I even turned 10, I wanted to express what I felt inside. So, I began calling myself a girl. But my family was strict and wanted me to behave like a boy,” she says, admitting that she has only visited them twice since she was thrown out of her home over a year ago, for refusing to conform. By this time, she had embraced her gender identity, wearing lipstick, and speaking Urdu in the feminine tense.

At school and at college, she was frequently taunted, though her teachers, she says, were supportive. When she completed her matriculation exams, Malik decided she’d had enough, and that it was time for change. “I realized I had to make a choice or I would end up depressed and suicidal. I wanted to prove myself and earn a dignified income.”

Marvia-Malik-trans-news-casterShe moved in with a transgender friend and earned a BA in journalism and civics from Lahore’s Punjab University, while studying make-up and working at a local salon to support herself. Upon graduation, she began looking for jobs — and landed her first and current one with Kohinoor News, a small Lahore based TV channel, after passing her screen test with flying colors. “At my interview, they asked, ‘Why are you interested in working here? Don’t transgender people just beg and dance for money?’” After three months of training, she began her career on March 23, 2018 — incidentally, on Pakistan Resolution Day. Soon, news of her employment went viral.

Malik is currently undergoing hormonal treatment as she transitions, and has set her sights on the UK for the gender reassignment surgery. She is now looking forward to doing an MA in journalism, even as she fights for transgender rights as the president of Lahore’s Khawaja Sira Society, an NGO that supports transgender rights. The future might even see her dip her toes in politics — after all, transgender candidates have been running for elections in the country since 2013. “Things are changing. I’d like to run for a parliamentary seat one day and fight for equal rights,” she says.