जायज है किन्नरों की शादी-पाकिस्तान में फतवा

पाकिस्तान के कुछ मौलवियों ने फतवा जारी किया है कि किन्नरों की शादियां जायज हैं. फतवा देने वाली संस्था ने कई प्रगतिशील बातें की हैं.

   पहले तो इस तरह का फतवा आना ही उम्मीद जगाता है क्योंकि आमतौर पर, और खासकर गैर मुस्लिमों के बीच, फतवे का मतलब होता है कुछ उलटा-पुलटा. इसलिए जब कोई फतवा कहता है कि किन्नर शादी कर सकते हैं, तो प्रगतिशील लोगों को खुशी होती है. और फिर ज्यादा खुशी होती है जब पता चलता है कि यह फतवा पाकिस्तान से आया है, उसी पाकिस्तान से जहां ईशनिंदा के नाम पर, समलैंगिकता के नाम पर, विधर्म के नाम पर हत्याओं का सिलसिला चल रहा है. वही पाकिस्तान, जहां किन्नरों के हालत काफी खराब है. वहां उन्हें सिर्फ हिकारत और मजाक की नजर से देखा जाता है. उसी पाकिस्तान के करीब 50 मौलवियों ने फतवा जारी किया है कि किन्नर शादियां गैर-इस्लामिक नहीं हैं.

यह फतवा तंजीम इत्तेहाद ए उम्मत नाम की एक संस्था ने जारी किया है. इस संस्था का कोई बहुत ज्यादा नाम तो नहीं है लेकिन है तो एक मजहबी इदारा ही. जब किसी गांव में बैठा मौलवी कोई फतवा जारी कर देता है तो पूरी दुनिया में हाहाकार मच जाता है, ऐसे में इस तरह के प्रगतिशील फतवे पर भी बात होनी ही चाहिए. पाकिस्तानी अखबार डॉन ने खबर छापी है कि तंजीम के मुताबिक किन्नरों की शादियां गैर इस्लामिक नहीं हैं, लेकिन कुछ शर्तें हैं. फतवे में यह शर्त रखी गई है कि शादी करने वाले किन्नर दिखने में मर्द और औरत जैसे ही होने चाहिए. मतलब यह कि अगर कोई किन्नर शारीरिक रूप से मर्द जैसा दिखता है तो वह एक ऐसे किन्नर से शादी कर सकता है जो शारीरिक तौर पर औरत जैसी हो.

दुआ देने वालों का अभिशाप सा जीवन

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दिन में वसीम एक मोबाइल रिपेयर की दुकान में काम करता है. अंधेरा होते ही वह नया रूप धारण कर लेता है. रावलपिंडी के कोठों में 27 साल का वसीम नाचता दिखता है. यहां उसकी पहचान महज एक किन्नर की है.

फतवे में और भी कई तरह की बातें कही गई हैं जो किन्नर लोगों की जिंदगियों को आसान बनाने की एक कोशिश मानी जा सकती हैं. मसलन, इसमें कहा गया है कि किसी किन्नर को उसके संपत्ति के हक से अलग करना गलत है. फतवा कहता है कि जो माता-पिता अपने किन्नर बच्चों से संपत्ति का अधिकार छीनते हैं उन्हें अल्लाह का गुस्सा झेलना होगा. मौलवियों ने कहा है कि सरकार को ऐसे माता-पिताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

मौलवियों ने किन्नरों की सामाजिक स्थिति पर भी चर्चा की है. उन्होंने यहां तक कहा है कि किन्नरों को परेशान करना, उनका अपमान करना या उन्हें किसी भी तरह से छेड़ना हराम है. यह भी कहा गया है कि किन्नर व्यक्ति को अंतिम संस्कार के वे सारे हक हासिल हैं जो किसी भी अन्य मुसलमान को.

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