October, 2019
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जायज है किन्नरों की शादी-पाकिस्तान में फतवा

पाकिस्तान के कुछ मौलवियों ने फतवा जारी किया है कि किन्नरों की शादियां जायज हैं. फतवा देने वाली संस्था ने कई प्रगतिशील बातें की हैं.
यह फतवा तंजीम इत्तेहाद ए उम्मत नाम की एक संस्था ने जारी किया है. इस संस्था का कोई बहुत ज्यादा नाम तो नहीं है लेकिन है तो एक मजहबी इदारा ही. जब किसी गांव में बैठा मौलवी कोई फतवा जारी कर देता है तो पूरी दुनिया में हाहाकार मच जाता है, ऐसे में इस तरह के प्रगतिशील फतवे पर भी बात होनी ही चाहिए. पाकिस्तानी अखबार डॉन ने खबर छापी है कि तंजीम के मुताबिक किन्नरों की शादियां गैर इस्लामिक नहीं हैं, लेकिन कुछ शर्तें हैं. फतवे में यह शर्त रखी गई है कि शादी करने वाले किन्नर दिखने में मर्द और औरत जैसे ही होने चाहिए. मतलब यह कि अगर कोई किन्नर शारीरिक रूप से मर्द जैसा दिखता है तो वह एक ऐसे किन्नर से शादी कर सकता है जो शारीरिक तौर पर औरत जैसी हो.
दुआ देने वालों का अभिशाप सा जीवन
दिन में वसीम एक मोबाइल रिपेयर की दुकान में काम करता है. अंधेरा होते ही वह नया रूप धारण कर लेता है. रावलपिंडी के कोठों में 27 साल का वसीम नाचता दिखता है. यहां उसकी पहचान महज एक किन्नर की है.
फतवे में और भी कई तरह की बातें कही गई हैं जो किन्नर लोगों की जिंदगियों को आसान बनाने की एक कोशिश मानी जा सकती हैं. मसलन, इसमें कहा गया है कि किसी किन्नर को उसके संपत्ति के हक से अलग करना गलत है. फतवा कहता है कि जो माता-पिता अपने किन्नर बच्चों से संपत्ति का अधिकार छीनते हैं उन्हें अल्लाह का गुस्सा झेलना होगा. मौलवियों ने कहा है कि सरकार को ऐसे माता-पिताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
मौलवियों ने किन्नरों की सामाजिक स्थिति पर भी चर्चा की है. उन्होंने यहां तक कहा है कि किन्नरों को परेशान करना, उनका अपमान करना या उन्हें किसी भी तरह से छेड़ना हराम है. यह भी कहा गया है कि किन्नर व्यक्ति को अंतिम संस्कार के वे सारे हक हासिल हैं जो किसी भी अन्य मुसलमान को.
पाकिस्तान में पहली बार किन्नर लैला अली को मिला ड्राइविंग लाइसेंस

इस्लामाबाद के यातायात अधिकारियों ने पहली बार किसी किन्नर को ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया है। मीडिया की खबरों के मुताबिक उसने 15 वर्ष पहले कार चलाना शुरू किया था। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक लैला अली ने पुलिस प्रमुख से बात की और राष्ट्रीय राजधानी में उनके समुदाय के लोगों को पुलिस द्वारा पीड़ित किए जाने सहित कई मुद्दों और समस्याओं के बारे में उन्हें सूचित किया। लैला किन्नर समुदाय की नेता हैं और राष्ट्रीय पहचान कार्ड तथा ड्राइविंग लाइसेंस में उनका नाम मोहम्मद अली लिखा गया है।
जियो टीवी के मुताबिक बातचीत में पुलिस प्रमुख ने उन्हें किन्नरों की समस्याओं के समाधान के लिए आश्वस्त किया और जब उन्हें पता चला कि 15 वर्षों से वह बिना लाइसेंस के वाहन चला रही हैं तो उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की पेशकश की।
इसने कहा कि रावलपिंडी स्थित आवाज शेमाले फाउंडेशन की अध्यक्ष लैला ने वर्ष 2000 में अपने पिता से वाहन चलाना सीखा।
खबर में बताया गया है कि सभी व्यावहारिक परीक्षण करने के बाद इस्लामाबाद पुलिस ने उन्हें लाइसेंस जारी कर दिया।
पाकिस्तान की पहली किन्नर न्यूज़ ऐंकर-मारविया

पाकिस्तान के स्थानीय टीवी चैनल कोहे-नूर ने अपने न्यूज़ ऐंकरों की टीम में एक किन्नर मारवीय मलिक को जगह दी है.
पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर कोहे-नूर न्यूज़ चैनल के इस कदम की सराहना की जा रही है.
पाकिस्तान की ताज़ा जनगणना में किन्नरों की कुल जनसंख्या 10418 है.
आख़िर कौन हैं मारवीय मलिक
कोहे-नूर न्यूज़ के री-लॉन्च में ऐंकर बनने वाली मारवीय मलिक लाहौर की रहने वाली हैं.
मारवीय मलिक ने ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई की हुई है और आगे परास्नातक करना चाहती हैं.
मारवीय पाकिस्तान की पहली किन्नर न्यूज़ ऐंकर हैं, लेकिन वो शो बिज़नेस में नई नहीं हैं. वह इससे पहले मॉडलिंग कर चुकी हैं.

कोहे-नूर न्यूज़ के रिलॉन्च के बारे में काफ़ा चर्चा हो रही थी तो वह भी इंटरव्यू देने चली गईं. इंटरव्यू में बहुत सारे लड़कियां-लड़के आए थे. उनमे मारवीय भी शामिल थी. जब उसका नंबर आया तो उन्होंनेउसे इंतज़ार करने को कहा. इसके बाद जब सभी लोगों के इंटरव्यू पूरे हो गए तो उन्होंने मारवीय को एक बार फिर अंदर बुलाया और कहा कि हम आपको ट्रेनिंग देंगे और कोहे-नूर न्यूज़ में आपका स्वागत है. ये सुनकर मारवीय खुशी से चीखी तो नहीं, लेकिन उसकी आँखों में आंसू इसलिए आए क्योंकि उसने जो ख़्वाब देखा था, उसकी पहली सीढ़ी मारवीय चढ़ चुकी थी. ट्रेनिंग में कोई दिक्कत नहीं आई. टीवी चैनल में जितनी मेहनत दूसरे न्यूज़ ऐंकरों पर की गई उतनी ही मारवीय पर की गई. मारवीय ने किसी तरह का लैंगिक भेदभाव नहीं देखा.”
रेंप पर बिखेरे जलवे
ट्रेनिंग के साथ हाल ही में मारवीय ने रेंप पर अपने जलवे बिखेरे.
उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान की पहली किन्नर मॉडल भी हूं. लाहौर फैशन शो में हिस्सा लिया, बड़ी मॉडल्स के साथ शामिल हुई और इस शो की शो स्टॉपर भी बनी. उनका कहना है कि वह अपने समुदाय के लिए कुछ करना चाहती हैं जिससे उनके हालात बेहतर हों.
वह बताती हैं, “हमारे समुदाय को मर्द औरत के बराबर हक मिले और हम एक आम नागरिक कहलाए जाएं न कि एक थर्ड जेंडर. अगर किसी मां-बाप को किन्नर बच्चे को घर में नहीं रखना तो इज्ज़त के साथ ज़मीन-जायदाद में हिस्सा दे ताकि वे भीख मांगने और ग़लत काम करने पर मजबूर न हों.”
उन्होंने कहा है कि “मुझे न्यूज़ कास्टर की नौकरी मिली लेकिन मेरी और सड़क पर भीख मांगने, डांस करने वाली किन्नरों की कहानी एक सी है जिसे बदलने की ज़रूरत है. मेरे घर वालों को सब कुछ पता है.”
कैसे और कब हुई थी किन्नरों की उत्पत्ति ?

किन्नरों की उत्पत्ति – जिस तरह स्त्री और पुरुष एक समाज में रहते हैं, उसी तरह इस दुनिया में किन्नरों का भी एक समाज है.
मनुष्य जाति की तरह ही किन्नरों मे भी दो प्रकार होते हैं.
एक किन्न पुरुष और दूसरी किन्नरी. इसे भी किन्न पुरुष ही कहा जाता है. मनुष्य जाति में हम सब जानते हैं कि स्त्री और पुरुष होते हैं. उनके जन्म की बात को भी हम जानते हैं कि कैसे होती है.
लेकिन किन्नरों की उत्पत्ति कब और कैसे हुई इसे हम में से बहुत ही कम लोग जानते हैं.
तो चलिए आज हम चर्चा करते हैं किन्नर समाज के इतिहास की. कि कैसे हुई किन्नरों की उत्पत्ति ?
बहुत पहले प्रजापति के यहां एक इल ना का पुत्र था. बड़ा होकर यही इल बड़ा ही धर्मात्मा राजा बना. कहते हैं राजा इल को शिकार खेलने का बड़ा शौक था. इसी शौक के कारण राजा इल अपने कुछ सैनिकों के साथ शिकार करने एक वन को गए. जंगल में राजा ने कई जानवरों का शिकार किया. लेकिन इसके बाद भी उनका मन नहीं भरा. वो और शिकार करना चाहते थे. इसी चाहत में वो जंगल में आगे बढ़ते चले गए. और उस पर्वत पर पहुंच गए, जहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ विहाग कर रहे थे. कहते हैं भगवान शिव ने माता पार्वती को खुश करने के लिए खुद को स्त्री बना लिया था. जिस समय भगवान शिव ने स्त्री रूप धारण किया था, उस समय जंगल में जितने जीव – जंतू, पेड़ – पौधे थे सब स्त्री बन गए. चुकी राजा इल भी उसी जंगल में मौजूद थे, सो राजा इल भी स्त्री बन गए और उनके साथ आये सारे सैनिक भी स्त्री बन गए.
राजा इल अपने आप को स्त्री रूप में देख बहुत दुखी हुए.
उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा कैसे हो गया. लेकिन जैसे ही उन्हें यह पता चला कि भगवान शिव के कारण वो सब स्त्री बन गए. तब राजा इल और ज्यादा चिंतित और डर गए. अपने इसी डर के कारण राजा इल भगवान शिव के चरणों में पहुंच गए. जहां उन्होंने भगवान शिव से अपने आप को पुरुष में परिवर्तित करने की अपील की. लेकिन भगवान शिव ने राजा इल से कहा कि तुम पुरुषत्व को छोड़कर कोई और वरदान मांग लो मैं दे दूंगा.
लेकिन इल ने दूसरा वरदान मांगने से मना कर दिया और वहां से चले गए.
वहां से जाने के बाद राजा हिल माता पार्वती को प्रसन्न करने में लग गए. राजा इल से माता पार्वती ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा.
तब राजा ने अपनी सारी कहानी बता कर अपना पुरुषत्व वापस लौटाने का वरदान माता पार्वती से मांगा. लेकिन माता पार्वती ने राजा से कहा कि तुम जिस पुरुषत्व का वरदान चाहते हो उसके आधे हिस्से के दाता तो खुद महादेव हैं. मैं तो सिर्फ आधा भाग ही दे सकती हूं. यानि तुम अपना आधा जीवन स्त्री रूप में और आधा जीवन पुरुष के रूप में व्यतीत कर सकते हो. अतः तुम कब स्त्री रूप में और कब पुरुष रूप में रहना चाहते हो यह सोच कर मुझे बता दो.
तब राजा ने काफी सोच कर माता पार्वती से कहा कि “हे मां मैं एक महीने स्त्री के रूप में, और एक महीने पुरुष के रुप में रहना चाहता हूं”
इस पर माता पार्वती ने तथास्तु कहते हुए राजा इल से ये भी कहा की जब तुम पुरुष के रुप में रहोगे, तो तुम्हें अपना स्त्री रूप नहीं याद रहेगा, और जब तुम अपने स्त्री रुप में रहोगे तो तुम्हें अपने पुरुष रुप का कुछ याद नहीं रहेगा.
इस तरह राजा इल माता पार्वती से एक महीने पुरुष इल और एक महीने स्त्री इला के रूप में रहने का वरदान प्राप्त कर लिए. परंतु राजा के सारे सैनिक स्त्री रूप में ही रह गए.
कहते हैं वो सारे सैनिक एक दिन स्त्री इला के साथ वन में घूमते – घूमते चंद्रमा के पुत्र महात्मा बुद्ध के आश्रम में पहुंच गए. तब चंद्रमा के पुत्र महात्मा बुद्ध ने इन स्त्री रूपी सैनिकों से कहा कि तुम सब किन्न पुरुषी इसी पर्वत पर अपना निवास स्थान बना लो. आगे चलकर तुम सब किन्न पुरुष पतियों को प्राप्त करोगे.
इस तरह से हुई किन्नरों की उत्पत्ति – किन्नरों के बारे में सारी जानकारी विस्तृत रुप से वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में स्पष्ट रुप से लिखा हुआ है.